हुयी है दस्तक दिलो- दिमाग में
देख लूँ बाहर कोई आया सा है
हर पहर ये साथ कोई चल रहा
कौन है जैसे मिरा साया सा है
देख लूँ बाहर कोई आया सा है
हर पहर ये साथ कोई चल रहा
कौन है जैसे मिरा साया सा है
छूटने पीछे लगे अपने मिरे
क्यूँ किसी इक गैर को पाया सा है
कोई छू न सके न देखे मुझे
किस तरह का ये खुदा साया सा है
काम उसको सोचने के सिवा क्या
वक्त चारों पहर का ज़ाया सा है
-वेदिका