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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

5 फ़र॰ 2010

शर्तें ...

नाज़ नखरे , अगर अखरे 

तुम चले जाना 

नहीं रोकेंगे तुमको हम 

मगर तुम संग ले जाना 

सभी बातें , सभी यादें 

कभी न रुख इधर करना 

वहीं जीना वहीं  मरना 

अगर फिर भी लगे न मन 

कभी जो याद आये तो 

जो मेरा गम सताये तो 

चले आना , भले आना 

मगर शर्तें पुरानी हैं 

पुराने नाज़ और नखरे  

वही तुमको जो थे अखरे

             -वेदिका
              २१ जनवरी ०३

1 फ़र॰ 2010

"मौन "

कोलाहल  में बैठी   मौन ,
बस निःशब्द लखे तस्वीर 

बंद हथेली किसे दिखाए ,
जाने कौन लिखे तकदीर 

" क्या सच में ये मै ही हूँ " ,
खुद से पूछ , बहाती नीर 

कोई पूछता चुप हो जाती ,
नहीं   बताती  अपनी पीर 

कुछ पन्नों को गीत सुनाती ,
जाने   ये  किसकी  जागीर

नाम पता न ठौर - ठिकाना ,
किस  रांझे की  खोयी  हीर

कोलाहल    में  बैठी  मौन ,
बस निःशब्द लखे तस्वीर ...!

                         -वेदिका
१:५६ उत्तरांह २४ / ०३ / ०४