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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

29 जन॰ 2010

क्यों ना

कि आये छोड़ सब हम, साथ तुम खड़े क्यों ना 
गयेपीछे नहीं हम, तुम मगर बढ़े     क्यों ना

मै तो हूँ साथ   बगल में भी   तुमने देखा था
 कि  मेरे वास्ते   फिर   जहाँ से लड़े क्यों ना

ना बुलाया, ना कुछ कहा, ना ही रोका तुमने
"ना जाने दूंगा"    इसी बात पर अड़े क्यों ना

कि छोड़ के  तमाम जिंदगी  हम मर जाते
 कि नयी राह    मेरे साथ   चल पड़े क्यों ना

                                              -वेदिका

21 टिप्‍पणियां:

  1. wah wah vedika, Mindblowing what u wrote... best wishes

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  2. आपके भाव लाजवाब लगे , लिखती रहें ।

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  3. वेदिका जी आपकी यह ग़ज़ल तो बहुत बढ़िया लगी.. बधाई स्वीकारें...लेखनी निरंतर प्रगति पाएँ...

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  4. पहली बार पढ़ा वेदिका को.. सच्चे और अच्छे सवाल पूछे... ग़ज़ल अच्छी लिख लेती हैं आप.. उम्मीद है और भी आगे को पढ़ने को मिलेगा ऐसा ही बेहतरीन सा..
    जय हिंद...

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  5. गज़ल बहुत बढिया है और इसके दर्द को मुझसे ज्यदा कौन समझ सकता है. भावी जीवन की शुभकामनाये.
    खुश रहो.

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  6. बेहद खूबसूरत गज़ल ! धन्यवाद ।

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  7. Bahut Hi Achchha Likha Hain.

    FM & AIR Listener From Bhopal

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  8. bahut ahsaas bhare hai magar dard dikhate hai

    khush numa rang bhare jeevan me dua hai

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  9. Sundar alfaaz lekin jeevanka ek katu saty-koyi na sang chale..

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  10. pahli baar aaj aapko padh raha hun ,acchai rachna hai .aaki lekhni kuch kahti hai, accha laga .


    KASHYAP-IANDPOLITICS.BLOGSPOT.COM

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  11. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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  12. waahh Dost bahut sundar kavita likhi hai kahte hai kavita likhna phir bhi aasan hai likin dikhana kathin hai....or aapki kavitamuhe dikhae de rahi hai....bahut khoob!!

    Jai HO Mangalmay HO

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  13. वाह! बेहतरीन लिखा है आपने.
    जारी रहें. शुभकामनाएं.

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  14. हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  15. pahli baar aapkee pahlee rachnaa padhee. lagtaaa hai jaise kavitaa aapkee mazburee hai aur photography aapkaa shauk. dono ko banaaye rakhiye.mujhe aapkee shoot ki photoes bahut pasand aayeen. aur photoes ki prateekshaa rahegee.

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