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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

5 फ़र॰ 2010

शर्तें ...

नाज़ नखरे , अगर अखरे 

तुम चले जाना 

नहीं रोकेंगे तुमको हम 

मगर तुम संग ले जाना 

सभी बातें , सभी यादें 

कभी न रुख इधर करना 

वहीं जीना वहीं  मरना 

अगर फिर भी लगे न मन 

कभी जो याद आये तो 

जो मेरा गम सताये तो 

चले आना , भले आना 

मगर शर्तें पुरानी हैं 

पुराने नाज़ और नखरे  

वही तुमको जो थे अखरे

             -वेदिका
              २१ जनवरी ०३

14 टिप्‍पणियां:

  1. Hello Vadika ji Namaskar. bahuta achi kavita...Wow! kitna acha lekhta han aap. sahi bahut khubsuharat...

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  2. वाह !!! इस रचना में एक नजाकत है .......बहेतरीन प्रस्तुति

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  3. आपकी रचना पढ़कर एक वाक़या याद हो आया . एक दोस्त हुआ करता था . एक लड़की को पसंद करता था . अपनी छत से पास के ही लड़की के घर के आँगन में लड़की को निहारा करता था. लड़की से उसने एक बार बात करनी चाही कि वो उससे भविष्य में शादी करना चाहता है तो लड़की ने अपने घर में शिकायत कर दी और कहा कि इस कद में छोटे लड़के से मैं शादी करूँगी. कुछ महीने बाद उस दोस्त की नौकरी लग गयी तो वो लड़की उस लड़के से शादी करना चाहती थी और उसके पास संदेशा भी भिजवाया. तब उस दोस्त ने कहा कि अब भी तो "सनी वही है".

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  4. वृत्ताकार रचना --
    रचना में अद्भुत ट्विस्ट है
    सुन्दर -- बहुत सुन्दर

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  5. शर्तें वही पुरानी हुम्म्म मगर प्यार मे शर्तें कैसी ? श्र्तों पर तो रिश्ता होता है प्यार शर्तों पर नही होता। मगर रचना बहुत ही अच्छी लगी । वेदिका आशीर्वाद तो ले ही लो।

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  6. मगर ऐसा संभव कैसे हो ?
    शेष जो निर्मला जी ने कहा उचित लगा.

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. बेनामी6/2/10, 12:04 am

    உத்தம் காவ்யா

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  9. वेदिका जी आपकी ये रचना बहुत ही सुंदर , धाराप्रवाह और उत्तम शाब्दिक चयन समाहित है , आपको ब्लॉग पर देख कर अच्छा लगा

    अपनी कलम को यूँ ही गतिमान बनाये रखियेगा|

    शुभकामनायें आपको....!

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  10. क्या बात है, बहुत खूब!

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  11. वेदिका ..आपकी कविता लिखने की शेल्ली बहुत सहज है ..ले भी सहज बात भी सहज ......अआप बहुत अच्छी कवियत्री होने की दिशा में है ....नाज नखरे अगर आपको अखरे तो मुझे छोड़ चले जेयेगा ...और जो आपको मेरी याद आये तो पुनः लौट आएयेगा मगर ये याद रखियेगा की नाज नखरे वही है wah ...

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  12. अभिनव प्रस्तुति ! रचना सुन्दर है । आभार ।

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  13. बेनामी10/2/10, 5:25 pm

    बेहद खुबसूरत रचना "कमाल" - स्पष्टीकरण देने की जरुरत ही नहीं है. जो भी लिखती हो सीधे दिल में समा जाता है - हार्दिक शुभकामनाएं

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  14. काफी अच्छी रचना है वेदिका जी .. बधाई.

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