जाऊं जहाँ जहाँ भी
मेरा साथ जाये स्वाभिमान
क्या कहाँ किस से कहूँ क्या,
ये बताये स्वाभिमान
ये नहीं की गर्व केवल
संग दया के भाव भी हों
कुछ समझ-दारी मिली हो
ऐसे कुछ सुझाव भी हो
किन्तु बोल वही बोलूं
जिनमे छलके सत्य ज्ञान
अगर हम अधिकार चाहें
याद हों दायित्व भी
न्याय, परउपकार आदि
गुणों पर स्वामित्व भी
स्व के इस सिंगार में
ये जेवरात सब महान
किन्तु इतना याद हो
की अहं चाहे बाद हो
न गिराए न गिराने दे
किसी को अपना मान
प्रति स्व के धर्म है ये
वेदिका वर्चस्व मेरा
चिरंजीवी हो यथा
यही हो सर्वस्व मेरा
बचा रखूं बना रखूं
अपनी नियति का विधान
जाऊं जहाँ जहाँ भी
मेरा साथ जाये स्वाभिमान
वेदिका...
bahut khoob...sach me apne swabhiman ko bahut khoob darshaya hai aapne.
जवाब देंहटाएंbas yu hi likhti rahiye.
bahut achi tarah ki hai swabhiman ki bat
जवाब देंहटाएंbehad khoobsoorat abhivyakti.
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