पल -पल -पल ये जीवन कितना , समझौतों से भरा लगे है
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है
रेता - बेता - अंजर - बंजर, भूखा - प्यासा -अस्थि - पंजर
नदियाँ-नाले -झरने-ताले, थकन अगन जो प्यास बुझा ले
क्षन भर की मरीचिका या फिर प्रतिबिम्बों से भरा लगे है
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है
जीवन- पर्वत हम आरोही, जीवन -माया हम निर्मोही
ज्ञान वान विज्ञानी कह लो, या बचपन शैतानी कह लो
साधुवाद का भास करा के, पगलाया सिरफिरा लगे है
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है
मिर्च-मसालों का तीखापन, या पानी जैसा फीकापन
अपनी आँखें अपना अंजन, नमी परायी पर अपनापन
आठ साल का जख्म पुराना, ताजा- ताजा हरा लगे है
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है
-वेदिका
२० जनवरी ०३
सुंदर भाव...बढ़िया रचना...बधाई वेदिका जी
जवाब देंहटाएंपल -पल -पल ये जीवन कितना , समझौतों से भरा लगे है
जवाब देंहटाएंकभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है
Sach hai, jivan ek abujh paheli hai.