बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा
इस कदर बरसा ये बादल
भीग गयी रूह पूरी
निचुड़ गया रोम-रोम
उठ गयी है यूँ फरुरी
डरते कांपते ही बीता
पिछला पूरा ही पखवाड़ा
देखना एक दिन ही
पूरा हमें डूब जाना है
कुछ नहीं जायेगा संग
सब यहीं छूट जाना है
दे रहा देखो बुलावा
काले बादल का नगाड़ा
बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा
इस कदर बरसा ये बादल
भीग गयी रूह पूरी
निचुड़ गया रोम-रोम
उठ गयी है यूँ फरुरी
डरते कांपते ही बीता
पिछला पूरा ही पखवाड़ा
देखना एक दिन ही
पूरा हमें डूब जाना है
कुछ नहीं जायेगा संग
सब यहीं छूट जाना है
दे रहा देखो बुलावा
काले बादल का नगाड़ा
बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा
वेदिका- 12:58 am 18-11-2009
adbhut rachna waaaah wah
जवाब देंहटाएंadbhut rachna vedika ji bahut badhiya.....waaah
जवाब देंहटाएंbahut umda rachna hai aapki, bahut bhavpoorna likha hai aapne. shubhkamnaye
जवाब देंहटाएंWow jus amazing....
जवाब देंहटाएंkeep sharing.
acha barish ka nazara dikhaya..ya kahu ek bhaybheet karta nazara
जवाब देंहटाएंlekin rachna achi rahi
आपकी सभी रचनाऎं बहूत सुंन्दर ओर मन को छू जाने वाली है। आपने अपना ब्लोग बनाया है, यह अच्छी बात है। इतनी सुन्दर रचनाओं के लिये आपको बहूत बहूत साधुवाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
राजू।
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
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