कोलाहल में बैठी मौन ,
बस निःशब्द लखे तस्वीर
बंद हथेली किसे दिखाए ,
जाने कौन लिखे तकदीर
" क्या सच में ये मै ही हूँ " ,
खुद से पूछ , बहाती नीर
कोई पूछता चुप हो जाती ,
नहीं बताती अपनी पीर
कुछ पन्नों को गीत सुनाती ,
जाने ये किसकी जागीर
नाम पता न ठौर - ठिकाना ,
किस रांझे की खोयी हीर
कोलाहल में बैठी मौन ,
बस निःशब्द लखे तस्वीर ...!
-वेदिका
१:५६ उत्तरांह २४ / ०३ / ०४
"कोलाहल में बैठी मौन, बस निःशब्द लखे तस्वीर
जवाब देंहटाएंबंद हथेली किसे दिखाए, जाने कौन लिखे तकदीर
कुछ पन्नों को गीत सुनाती, जाने ये किसकी जागीर
नाम पता न ठौर - ठिकाना,किस रांझे की खोयी हीर"
बहुत खूब - अतिसुंदर लगता है एक दिल से निकली और दूसरे में समा गई
सरल शब्दों में गहरे भाव का चित्रण
जवाब देंहटाएंशब्दों का सयोजन एक दम नापा तुला
बंद हथेली किसे दिखाए ,जाने कौन लिखे तकदीर
कोई पूछता चुप हो जाती ,नहीं बताती अपनी पीर
नाम पता न ठौर - ठिकाना ,किस रांझे की खोयी हीर
कोलाहल में बैठी मौन ,बस निःशब्द लखे तस्वीर ...
अति सुन्दर रचना ...बधाई !
वेदिका जी शब्दों की सुंदरता और भावों की खूबसूरती दोनों का अद्भुत संगम...बढ़िया रचना बधाई एवं शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपकी रचना के भाव और शिल्प शौष्ठव ने तो बस मुग्ध और निःशब्द ही कर दिया....और क्या कहूँ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत ही सुन्दर रचना....वाह !!!
Very nice..
जवाब देंहटाएंhttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
प्रारंभ ने ही बाँध लिया । कविता की लयात्मकता, प्रवाह और भावों ने एकदम से तन्मय कर दिया ।
जवाब देंहटाएंरचना का आभार ।
मन को छूने वाली कवितायें हैं।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्ते वेदिका जी !!
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग देखा, रचनाएँ पढ़ी, सारी रचनाएँ सुंदर है| अद्भुत है.... सुंदर भविष्य की शुभकामनाओं के साथ कहना चाहता हूँ की जल्दी ही अपनी किताब प्रकाशित करिए ताकि आपकी लेखनी और भी लोगों तक पहुंचे|
सादर वन्दे!!
कोलाहल में बैठी मौन ,
जवाब देंहटाएंबस निःशब्द लखे तस्वीर ...!
सुंदरतम अभिव्यक्ति, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.