चोट जो लगे तो बस एक आह कीजिये
गर पसंद हो तो वाह वाह कीजिये
हम तो लिखेंगे हमारा शौक ओ पेशा यही
आप भी पढ़ने की मगर चाह कीजिये
पहचान पुरानी, है आज समझने का दिन
हम आ सकें करीब जरा राह कीजिये
आप भी जायेगे और हम भी रुकने के नही
एक उमर का साथ है निबाह कीजिये
हम तो लिखेंगे हमारा शौक ओ पेशा यही
जवाब देंहटाएंआप भी पढ़ने की मगर चाह कीजिये
वेदिका जी ग़ज़ल पढ़ने के बाद वाह वाह कहने से अलग कोई और रास्ता ही नही है....सुंदर अभिव्यक्ति...निरंतरता बनाएँ रखें..बधाई एवं शुभकामनाएँ..
aisi kosis pe to na chah kar bhi chahana pad jaaye,
जवाब देंहटाएंpadhne ki chah to chodiye aur padhne ki pyas jag jaaye.
bahut sundar kavita.
dhron badhaiyaan ! ! !
हमारा शौक है अच्छी रचनाएं पढना, इसलिए हम आ गयें, बहुत बढिया लगा आपको पढकर ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब वेदिकाजी .....!!!
जवाब देंहटाएंnisandeh ek uttam rachna !
जवाब देंहटाएंbahut khoob...!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रयास - शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआप सभी की सराहना मिली, रचना सार्थक हुयी
जवाब देंहटाएंह्म्म्म बहुत ही खूबसूरती के साथ अल्फाजो को पिरोया है ...क्या बात है दिल खुश कर दिया ..
जवाब देंहटाएंacchi gazal wah wah ki hakdaar khud ban jati hai..aur
जवाब देंहटाएंwah wah wah
वेदिका जी ग़ज़ल सुंदर ....बधाई एवं शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंचोट जो लगे तो बस एक आह कीजिये
जवाब देंहटाएंगर पसंद हो तो वाह वाह कीजिये
आप भी जायेगे और हम भी रुकने के नही
एक उमर का साथ है निबाह कीजिये
बढिया है । अच्छी लगी आपकी ये कविता और ब्लॉग ।
आप भी जायेगे और हम भी रुकने के नही
जवाब देंहटाएंएक उमर का साथ है निबाह कीजिये
Waah, bahut sundar.