मेरे साथी ....जिन्होंने मेरी रचनाओं को प्रोत्साहित किया ...धन्यवाद

शुभ-भ्रमण

नमस्कार! आपका स्वागत है यहाँ इस ब्लॉग पर..... आपके आने से मेरा ब्लॉग धन्य हो गया| आप ने रचनाएँ पढ़ी तो रचनाएँ भी धन्य हो गयी| आप इन रचनाओं पर जो भी मत देंगे वो आपका अपना है, मै स्वागत करती हूँ आपके विचारों का बिना किसी छेड़-खानी के!

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24 अप्रैल 2013

भारतीय सनातन छंद

आदरणीय मित्रगण  ....सादर नमन!



दिये गये चित्र के अनुसार, को ध्यान में रख कर लिखी रचनाएँ अलग अलग विधा में रचीं गयी है, जिनके मापदण्ड भी निम्नलिखित है,कितनी सटीक चित्रण है ..ये पाठक मित्रों की आलोचना पर निर्भर है
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प्रथम प्रस्तुति  =>
कामरूप छंद
कामरूप छंद जिसमे चार चरण होते है , प्रत्येक में ९,७,१० मात्राओं पर यतिहोती है , चरणान्त गुरु-लघु से होता है

छातिया लेकर / वीर जवान / आय सीना तान
देश की माटी / की है माँग / तन व मन कुर्बान
इसी माटी से / बना है तन / इस धूरि की आन
तन से दुबला / अहा गबरू / मन धीर बलवान ..................गीतिका 'वेदिका'

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द्वतीय प्रस्तुति  =>
चतुष्पदी छंद या चौपाई 
चतुष्पदी छंद के रूप में, बुंदेलखंड के मानक कवि श्रेष्ठ ईसुरी की बुन्देली भाषा से प्रेरित है 

चौपाई छंद .....चार चरण ....प्रत्येक पद में सोलह मात्राएँ

उदाहरण ----"  जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
                    जय कपीस तिहूँ लोक उजागर ""


१ )
अम्मा कत्ती दत के खा लो
पी लो पानी और चबा लो
सबई नाज व दालें सबरी
करो अंकुरण खालो सगरी


२ )
सुनी लेते अम्मा की बात
फिर तोइ होते अपने ठाठ
दुबरे तन ना ऐसे होते
भर्ती में काये खों रोते


३ )
ई में अगर चयन हो जाये
माता को खुश मन हो जाये
फिर ना बाबू गारी देंहें
कक्का भी हाथन में लेंहें ............... गीतिका 'वेदिका'