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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

9 फ़र॰ 2010

पल -पल -पल ये जीवन.....

पल -पल -पल ये जीवन कितना , समझौतों से भरा लगे है 
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा"  लगे    है 

 रेता - बेता - अंजर - बंजर, भूखा - प्यासा -अस्थि - पंजर
 नदियाँ-नाले -झरने-ताले, थकन अगन जो प्यास बुझा ले 
 क्षन भर की मरीचिका या फिर प्रतिबिम्बों से भरा लगे है 
कभी लगे ये जीवन  "दर्शन " कभी एक  "मसखरा" लगे है

जीवन- पर्वत हम आरोही,  जीवन -माया   हम   निर्मोही 
ज्ञान वान विज्ञानी कह लो,    या बचपन शैतानी कह लो 
साधुवाद का भास करा के,     पगलाया सिरफिरा लगे  है 
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक  "मसखरा" लगे है  

मिर्च-मसालों का तीखापन, या  पानी  जैसा     फीकापन
अपनी आँखें अपना अंजन,   नमी परायी  पर अपनापन
आठ साल का जख्म पुराना,     ताजा- ताजा हरा लगे है 
कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है  
                                          
                                                     -वेदिका
                                                     २० जनवरी ०३

2 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर भाव...बढ़िया रचना...बधाई वेदिका जी

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  2. पल -पल -पल ये जीवन कितना , समझौतों से भरा लगे है
    कभी लगे ये जीवन "दर्शन " कभी एक "मसखरा" लगे है

    Sach hai, jivan ek abujh paheli hai.

    जवाब देंहटाएं

विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ