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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

6 मई 2010

कौन बहार बिखेर गया...!

सूने से मन आंगन में मेरे
ये कौन रंगोली उकेर गया....

पतझर तो था अभी-अभी
फिर कौन बहार बिखेर गया...

अपना तो नही था, झौंका
शायद माथे हाथ फेर गया....

लौट आये वो लम्हा देखूं
जो पहले कुछ देर गया ....

वेदिका

6 टिप्‍पणियां:

  1. पतझर तो था अभी-अभी
    फिर कौन बहार बिखेर गया...
    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  2. कम शब्दों मैं अच्छा लिखा
    आपको बधाई

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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  3. saja ke rakho in lamho ko
    yaad bahut ye aayenge..
    din ye pyare pyare hai..
    udasi me tumhe hasayenge..

    aapki rachna padh kar ye lines aa gayi...apki rachna bahut acchhi aur masumiyat se ot-prot he.

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी26/5/10, 9:53 pm

    सोच बहुत अच्छी, शब्द, भाव और प्रस्तुति अच्छी

    जवाब देंहटाएं

विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ