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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

7 फ़र॰ 2010

विदाई के अवसर पर.....

मैया के रोये से नदिया बहत है 
बाबुल के रोये बेला ताल 
भैया के रोये मेरी छतिया फटत है 
भौजी के जियरा कठोर 

बुंदेलखंड में विवाह में विदाई के अवसर पर गाया जाने वाला मार्मिक लोकगीत के बोल .....

3 टिप्‍पणियां:

  1. भावुकता से ओतप्रोत मार्मिक गीत...एहसास कराती हुई की विदाई के वक्त कितना ज़्यादा दुख होता है...

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  2. बेनामी5/3/10, 12:28 am

    ek to sari bhauji aisi nahi hoti dusre dulhiniya ke bbare me nahi likha...geet mati se nikle to aise hi mahkte hai'
    romesh

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  3. Bahut achi rachna vedika ji. sach me har pardesh/parant aur samaj ke apne kuch alag-alag geet/reet hoti hain..lakin unka sareak sa hota ha..bahut acha. bhai ap jo lekhti hain lagta ha sarswati mata ki badi kirpa ha ape par.. kamna karta hun sada bani raha.subhkamnayon ke sath.

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विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ