बुन्देली क्षेत्र में फाग के अवसर पर पुरुष और महिलाओं के समूह द्वारा गाया जाने वाला गीत
सुमरि होरी रे! / लम्टेरा विधा
सुमरि होरी रे!
आई होली के लेके रंग बिरंगे अनुराग रे
सुमरि होरी रे!
कौना के शिव कैलाश बसे जू हो
कौना के श्याम बसे वृन्दावन रे
सुमरि होरी रे!
राधा चली घट रंग भरो जू
गौरा चली ले के रंग अबीर को थार रे
सुमरी होरी रे!
कौना सी सुंदर नारी वन में बसे
संगे बसे लाला लखन , राम भरतार रे
सुमरि होरी रे!
राम भगत की रंग रंगीली होली
हनुमत करे लाल सिंदूर को सिंगार रे
सुमरि होरी रे!
रखो वेदिका लाज, कलम खों रंग दो
संग मिले एक रंग पिया जी का प्यार रे!
सुमरि होरी रे!
गीतिका 'वेदिका'
21-03-2013....11:19 अपरान्ह
सुमरि होरी रे! / लम्टेरा विधा
सुमरि होरी रे!
आई होली के लेके रंग बिरंगे अनुराग रे
सुमरि होरी रे!
कौना के शिव कैलाश बसे जू हो
कौना के श्याम बसे वृन्दावन रे
सुमरि होरी रे!
राधा चली घट रंग भरो जू
गौरा चली ले के रंग अबीर को थार रे
सुमरी होरी रे!
कौना सी सुंदर नारी वन में बसे
संगे बसे लाला लखन , राम भरतार रे
सुमरि होरी रे!
राम भगत की रंग रंगीली होली
हनुमत करे लाल सिंदूर को सिंगार रे
सुमरि होरी रे!
रखो वेदिका लाज, कलम खों रंग दो
संग मिले एक रंग पिया जी का प्यार रे!
सुमरि होरी रे!
गीतिका 'वेदिका'
21-03-2013....11:19 अपरान्ह