बड़ा निठुर हो चला
आज का ये जमाना
शाम ढले घर रोज
सुनो तुम आजाना
कही कडकती बिजली
दिल में घर करती है
लगातार बारिश
अनजाने डर करती है
तभी पड़ोसी का आकर
कुछ खबर सुनाना
शाम ढले घर रोज
सुनो तुम आजाना
समझ रही हूँ काम बिना
जीवन न चलता
पर दिल में रहती है
जैसे कोई विकलता
सुबह चाय पीकर
कुछ खाकर जो जाते हो
न मन का कुछ सुन पाते
न कह पाते हो
सुनो गावं की सडकें
टूटी व् जर्जर है
नदी की टूटी पुलिया
पानी से तर है
एकली राह पे सूनापन
है वक्त बेगाना
शाम ढले घर रोज
सुनो तुम आजाना
आज का ये जमाना
शाम ढले घर रोज
सुनो तुम आजाना
कही कडकती बिजली
दिल में घर करती है
लगातार बारिश
अनजाने डर करती है
तभी पड़ोसी का आकर
कुछ खबर सुनाना
शाम ढले घर रोज
सुनो तुम आजाना
समझ रही हूँ काम बिना
जीवन न चलता
पर दिल में रहती है
जैसे कोई विकलता
सुबह चाय पीकर
कुछ खाकर जो जाते हो
न मन का कुछ सुन पाते
न कह पाते हो
सुनो गावं की सडकें
टूटी व् जर्जर है
नदी की टूटी पुलिया
पानी से तर है
एकली राह पे सूनापन
है वक्त बेगाना
शाम ढले घर रोज
सुनो तुम आजाना