1121 2122 1121 2122
फइलातु फाइलातुन फइलातु फाइलातुन
ये जहाँ बदल रहा है, मेरी जाँ बदल न जाये
तेरा गर करम न हो तो, मेरी साँस जल न जाये ॥
ये बता दो आज जाना, कि कहाँ तेरा निशाना
जो बदल गये हो तुम तो, कहीं बात टल न जाये ॥
न वफ़ा ये जानता है, मेरा दिल बड़ा फ़रेबी
ये मुझे है डर सनम का, कि कहीं बदल न जाये ॥
तेरी जुल्फ़ हैं घटायें, जो पलक उठे तो दिन हो
'न झुकाओ तुम निगाहें, कहीं रात ढल न जाये' ॥
मेरा दिल लगा तुझी से, तेरा दिल है तीसरे पे
तेरा इंतज़ार जब तक, मेरा दम निकल न जाये ॥
गीतिका 'वेदिका'
27/04/2013 8:29 अपरान्ह
("न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाये " ....मिसरा-ए-तरह..)
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30 अप्रैल 2013
ये जहाँ बदल रहा है, // गज़ल
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बहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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सुन्दर ग़जल सजाई है गीतिका जी।
जवाब देंहटाएंसादर बधाई स्वीकारें!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंye jhan badal rha hai..meri jaa badal n jaye.......bahut sunder ....@nand
जवाब देंहटाएंvisit plz
http://anandkriti007.blogspot.com
भाव और शब्दों का चयन बहुत सुंदर है ,शुभकामनाये ,
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/