जिन्दगी कहाँ है तुम मुझको बता दो आजाओ
जो किया हो मैंने कि मुझको सजा दो आजाओ
जो जमी है वो नमी है ढेर सारी आँखों में
यूँ करो कि आज घर मुझको रुला दो आजाओ
ये करूं मै कुछ लिखूं फिर फिर मिटा दूँ रोज ही
मर मिटूँ कि पहले ही पढ़ के सुना दो आजाओ
बुरे होंगे हम मगर इसकी वजह हालात है
सुनो दिलबर जोर का थप्पड़ जमा दो आजाओ
आये दरवाजे पे मेरे, बिन पुकारे चल दिए
प्यार था जो कभी तो उसको निभा दो आजाओ
दर्द भरी रचना ! बेहतरीन
जवाब देंहटाएंVedika ji,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना,बधाई.
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