आदरणीय मित्रगण ....सादर नमन!
दिये गये चित्र के अनुसार, को ध्यान में रख कर लिखी रचनाएँ अलग अलग विधा में रचीं गयी है, जिनके मापदण्ड भी निम्नलिखित है,कितनी सटीक चित्रण है ..ये पाठक मित्रों की आलोचना पर निर्भर है
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प्रथम प्रस्तुति => कामरूप छंद
कामरूप छंद जिसमे चार चरण होते है , प्रत्येक में ९,७,१० मात्राओं पर यतिहोती है , चरणान्त गुरु-लघु से होता है
छातिया लेकर / वीर जवान / आय सीना तान
देश की माटी / की है माँग / तन व मन कुर्बान
इसी माटी से / बना है तन / इस धूरि की आन
तन से दुबला / अहा गबरू / मन धीर बलवान ..................गीतिका 'वेदिका'
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द्वतीय प्रस्तुति => चतुष्पदी छंद या चौपाई
चतुष्पदी छंद के रूप में, बुंदेलखंड के मानक कवि श्रेष्ठ ईसुरी की बुन्देली भाषा से प्रेरित है
चौपाई छंद .....चार चरण ....प्रत्येक पद में सोलह मात्राएँ
उदाहरण ----" जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहूँ लोक उजागर ""
१ )
अम्मा कत्ती दत के खा लो
पी लो पानी और चबा लो
सबई नाज व दालें सबरी
करो अंकुरण खालो सगरी
२ )
सुनी लेते अम्मा की बात
फिर तोइ होते अपने ठाठ
दुबरे तन ना ऐसे होते
भर्ती में काये खों रोते
३ )
ई में अगर चयन हो जाये
माता को खुश मन हो जाये
फिर ना बाबू गारी देंहें
कक्का भी हाथन में लेंहें ............... गीतिका 'वेदिका'
दिये गये चित्र के अनुसार, को ध्यान में रख कर लिखी रचनाएँ अलग अलग विधा में रचीं गयी है, जिनके मापदण्ड भी निम्नलिखित है,कितनी सटीक चित्रण है ..ये पाठक मित्रों की आलोचना पर निर्भर है
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प्रथम प्रस्तुति =>
कामरूप छंद जिसमे चार चरण होते है , प्रत्येक में ९,७,१० मात्राओं पर यतिहोती है , चरणान्त गुरु-लघु से होता है
छातिया लेकर / वीर जवान / आय सीना तान
देश की माटी / की है माँग / तन व मन कुर्बान
इसी माटी से / बना है तन / इस धूरि की आन
तन से दुबला / अहा गबरू / मन धीर बलवान ..................गीतिका 'वेदिका'
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द्वतीय प्रस्तुति =>
चतुष्पदी छंद के रूप में, बुंदेलखंड के मानक कवि श्रेष्ठ ईसुरी की बुन्देली भाषा से प्रेरित है
चौपाई छंद .....चार चरण ....प्रत्येक पद में सोलह मात्राएँ
उदाहरण ----" जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहूँ लोक उजागर ""
१ )
अम्मा कत्ती दत के खा लो
पी लो पानी और चबा लो
सबई नाज व दालें सबरी
करो अंकुरण खालो सगरी
२ )
सुनी लेते अम्मा की बात
फिर तोइ होते अपने ठाठ
दुबरे तन ना ऐसे होते
भर्ती में काये खों रोते
३ )
ई में अगर चयन हो जाये
माता को खुश मन हो जाये
फिर ना बाबू गारी देंहें
कक्का भी हाथन में लेंहें ............... गीतिका 'वेदिका'
वाह गीतिका जी वाह बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति कामरूप छंद एवं चौपाई दोनों ही बहुत ही सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया है आपने, मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति को सराह के बधाई देने हेतु आपका ह्रदय की गहराइयों से धन्यवाद आदरणीय अरुण कुमार अनंत जी!
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय अरुण अनंत जी!
जवाब देंहटाएंमुझे इतनी बढ़िया खबर देने के लिए ...
सादर गीतिका 'वेदिका'
वाह! बहुत सुन्दर छंद कहे आपे | बधाई
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आभार तुषार राज रस्तोगी जी!
हटाएंअवश्य आपके ब्लॉग पर जा कर कृतार्थ होउगी
सादर गीतिका 'वेदिका'
मेरे ब्लॉगपर स्वागत है आपका आदरणीया वेदिका जी..........
जवाब देंहटाएंआभार अजितेंदु जी!
हटाएंअवश्यमेव
सादर गीतिका 'वेदिका'
जानकारीपरक बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए धन्यवाद!
आपको ब्लॉग पर दी हुयी रचनाएँ सार्थक प्रतीत हुयी, मेरे लेखन कर्म को सार्थकता मिली ...स्नेहायुक्त आशिर्वचन हेतु आपका बहुत बहुत आभार एवम चर्चा मंच पर मुझे स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी!
हटाएंसादर गीतिका 'वेदिका'
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आज ही आपके ब्लॉग पर आना हुआ,आपके ब्लॉग "ब्लॉग कलश" पर शामिल किये जा चुकें है,पधारें.
जवाब देंहटाएं"ब्लॉग कलश"
भूली-बिसरी यादें
"स्वस्थ जीवन: Healthy life"
वेब मीडिया
आपका स्वागत है आदरणीय राजेंद्र कुमार जी! आभार आपने मेरे ब्लॉग को 'शब्द-कलश' पर लिंक किया
हटाएंअरे वाह...सोशल मिडिया पर इस तस्वीर को मजाक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, और आपने तस्वीर को ध्यान में रखकर इतनी सुन्दर रचनाएँ लिखी..बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंमुझे ज्यादा जानकारी नहीं छंदों की...लेकिन ये बहुत खूबसूरत लगा!!
स्वागत अभी जी!
हटाएंआपके सराहना से रचना कर्म सार्थक हुआ !!