कोलाहल में बैठी मौन ,
बस निःशब्द लखे तस्वीर
बंद हथेली किसे दिखाए ,
जाने कौन लिखे तकदीर
" क्या सच में ये मै ही हूँ " ,
खुद से पूछ , बहाती नीर
कोई पूछता चुप हो जाती ,
नहीं बताती अपनी पीर
कुछ पन्नों को गीत सुनाती ,
जाने ये किसकी जागीर
नाम पता न ठौर - ठिकाना ,
किस रांझे की खोयी हीर
कोलाहल में बैठी मौन ,
बस निःशब्द लखे तस्वीर ...!
-वेदिका
१:५६ उत्तरांह २४ / ०३ / ०४