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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

17 सित॰ 2012

"मेरे घर आये है साजन"


मेरे घर आये है साजन
आँगन निखर गया

बरसी थी नैनो की बदली
धो गयी सब काजल और कजली
रोग शोक दुःख पीड़ा
जाने किधर गया

हम मिलकर तुमसे हरसाए
सबको अपने सजन दिखाए
खूब खूब खुद पे इतराए
विरह वेदना का रोना
सब बिसर गया


6 टिप्‍पणियां:

  1. bahot dino baad aaya aapke blog par..achha laga dekhkar ki aap abhi bhi likh rahe ho..facebook or orkut pe aap nahi mile??

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    1. आप आये ब्लॉग पर ...बहुत अच्छा लगा ...अपनी प्रतिक्रिया देते रहिये ..ब्लॉग में फेसबुक की लिंक है आदरणीय

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  2. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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    1. इतनी ख़ूबसूरती से प्रशंसा करने के लिए ...वाह
      आपका स्वागत है आदरणीय भास्कर जी!

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  3. बहुत ही खूबसूरत गीत है!!!

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन हेतु अनेक धन्यवाद आदरणीय

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विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ