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3 अग॰ 2020

जानो अपने राम को 🌼1

१.
हरिये हम सबके कलुष भाव हे! धनुष धारिये रघुनन्दन |दुःख औ' सुख में सम रह पाएं हम, तोड़ सकें भव के बंधन ||

२.
राम नगरिया ओरछा, बसी बेतवा तीर |
मिले पुख्य नक्षत्र में, जन-जन के रघुवीर ||

३.
धनुष उठाया राम ने, करने को संधान |
रामबाण को है सदा, उचित लक्ष्य का भान ||

४. 
राम लखन औ' मैथिली, किसकी ये तस्वीर |
जन जन के मन रम रहे, कैसे हरते पीर ||

५.
चाप चढाया राम ने, किसकी हरने पीर |
न्याय मिलेगा कौन को,  बदलेगी तक़दीर ||

६.
माता के आदेश से,  लिया कौन सा जोग |
भ्रात संगिनी वन चले, कैसा ये संयोग ||

७.
हनुमत सा ना बाहुबल, नहीं राम सा तेज |
रामकथा की पंक्तियाँ, बड़ी सनसनीखेज ||

८.
धनुष तोड़ फिर राम ने, लिया स्वयंवर जीत |
अवधपुरी को ले चले, अपने मन की मीत ||


९. 
जन जन के हैं राम, कहे वेदिका सोरठा|
बसे ओरछा धाम, बना अवधपुर ओरछा||

गीतिका वेदिका 

(सर्वाधिकार सुरक्षित गीतिका वेदिका)