जब भी पाया तुझको
कर गया चाक ज़िगर
तेरा साया बेवफ़ा
दिल है नादान सनम
तुझ पर आया बेवफ़ा
हम तो तेरे ही बने
तू पराया बेवफ़ा
तोड़ी सब कसमें क्यों
या ख़ुदाया बेवफ़ा
...गीतिका 'वेदिका'
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विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ