मनोरमण छंद जो कि १६ मात्राओं से बनता है। बुन्देली भाषा की प्रस्तुति आपके सम्मुख है
कहने में सकुचाय सुमनिया
पियो जो दारू प्यारे पिया
जले गृहस्थी संग जले जिया
दारू ने सर्वस्व है लिया
दवा नही रे है ये दारू
है ये सब घर बार बिगारु
बर्बादी पे भये उतारू
तुम नस्सू हम जीव जुझारू
कहने में सकुचाय सुमनिया
पियो जो दारू प्यारे पिया
जले गृहस्थी संग जले जिया
दारू ने सर्वस्व है लिया
दवा नही रे है ये दारू
है ये सब घर बार बिगारु
बर्बादी पे भये उतारू
तुम नस्सू हम जीव जुझारू
गीतिका 'वेदिका'
११ मई २०१३ ११ : ५७ पूर्वान्ह
आपकी यह रचना कल मंगलवार (बृहस्पतिवार (06-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
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