मेरे घर आये है साजन
आँगन निखर गया
बरसी थी नैनो की बदली
धो गयी सब काजल और कजली
रोग शोक दुःख पीड़ा
जाने किधर गया
हम मिलकर तुमसे हरसाए
सबको अपने सजन दिखाए
खूब खूब खुद पे इतराए
विरह वेदना का रोना
सब बिसर गया
आँगन निखर गया
बरसी थी नैनो की बदली
धो गयी सब काजल और कजली
रोग शोक दुःख पीड़ा
जाने किधर गया
हम मिलकर तुमसे हरसाए
सबको अपने सजन दिखाए
खूब खूब खुद पे इतराए
विरह वेदना का रोना
सब बिसर गया
काफी अच्छी कवितायें हैं आपके ब्लॉग पे..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव,,,
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...
बहुत दिनों से कोई नयी लिखी नहीं???
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएं