१.
राम धीर मुद्रा में बैठे, पत्थर पर मुस्काते हैं
उनके संरक्षण में वानर जल पत्थर तैराते हैं।
२.
२.
मीठे फल चख रखती शबरी, प्रभु मगन मन खाते हैं
छुपकर बैठे लछमन भैया, फल खाने में सकुचाते हैं।
छुपकर बैठे लछमन भैया, फल खाने में सकुचाते हैं।
३.
भक्ति भाव हनुमान का और जानकी तापसी
लखनलाल सीता सहित किये राम घर वापसी।
४.
लखनलाल सीता सहित किये राम घर वापसी।
४.
शिव के स्वामी राम हैं, राम के प्रभो महेश |
मित्र सदा है मित्र है, जन-जन को सन्देश ||
५.
मित्र सदा है मित्र है, जन-जन को सन्देश ||
५.
सेतु समुद्रम बन रहा, शिव जी हुए सहाय |
सीता के सम्मान में सेतु बना उपाय ||
सीता के सम्मान में सेतु बना उपाय ||
६.
सेतुबन्ध है राम का, संग शिव का आशीष |
लाख आयें कठिनाइयाँ, धरें चरण पर शीश ||
७.
लाख आयें कठिनाइयाँ, धरें चरण पर शीश ||
७.
सीता की अवमानना, लिया राम ने ठान |
रावण का कुविचार था, लेंगे उसके प्रान ||
८.
रावण का कुविचार था, लेंगे उसके प्रान ||
८.
सेतु समुद्रम बन रहा, शिव जी हुए सहाय ।
सीता के सम्मान में, सागर कहे उपाय ||
९.
सीता के सम्मान में, सागर कहे उपाय ||
९.
अग्नि परिच्छा जानकी, अगन दहकती जाए।
सब लीला है राम की, अग्निदेव सहाय ।।
सब लीला है राम की, अग्निदेव सहाय ।।
गीतिका वेदिका