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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

20 नव॰ 2009

स्वाभिमान...!

जाऊं जहाँ जहाँ भी
मेरा साथ जाये स्वाभिमान
क्या कहाँ किस से कहूँ क्या,
ये बताये स्वाभिमान

ये नहीं की गर्व केवल
संग दया के भाव भी हों
कुछ समझ-दारी मिली हो
ऐसे कुछ सुझाव भी हो

किन्तु बोल वही बोलूं
जिनमे छलके सत्य ज्ञान

अगर हम अधिकार चाहें
याद हों दायित्व भी
न्याय, परउपकार आदि
गुणों पर स्वामित्व भी

स्व के इस सिंगार में
ये जेवरात सब महान

किन्तु इतना याद हो
की अहं चाहे बाद हो
न गिराए न गिराने दे
किसी को अपना मान

प्रति स्व के धर्म है ये
वेदिका वर्चस्व मेरा
चिरंजीवी हो यथा
यही हो सर्वस्व मेरा

बचा रखूं बना रखूं
अपनी नियति का विधान
जाऊं जहाँ जहाँ भी
मेरा साथ जाये स्वाभिमान

वेदिका...

3 टिप्‍पणियां:

विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ