मेरे साथी ....जिन्होंने मेरी रचनाओं को प्रोत्साहित किया ...धन्यवाद

शुभ-भ्रमण

नमस्कार! आपका स्वागत है यहाँ इस ब्लॉग पर..... आपके आने से मेरा ब्लॉग धन्य हो गया| आप ने रचनाएँ पढ़ी तो रचनाएँ भी धन्य हो गयी| आप इन रचनाओं पर जो भी मत देंगे वो आपका अपना है, मै स्वागत करती हूँ आपके विचारों का बिना किसी छेड़-खानी के!

शुभ-भ्रमण

18 नव॰ 2009

जाने हमने हाय इसका क्या बिगाड़ा......!

बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा

इस कदर बरसा ये बादल
भीग गयी रूह पूरी
निचुड़ गया रोम-रोम
उठ गयी है यूँ फरुरी

डरते कांपते ही बीता
पिछला पूरा ही पखवाड़ा

देखना एक दिन ही
पूरा हमें डूब जाना है
कुछ नहीं जायेगा संग
सब यहीं छूट जाना है

दे रहा देखो बुलावा
काले बादल का नगाड़ा

बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा



वेदिका- 12:58 am 18-11-2009

7 टिप्‍पणियां:

  1. adbhut rachna vedika ji bahut badhiya.....waaah

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी18/11/09, 8:12 pm

    bahut umda rachna hai aapki, bahut bhavpoorna likha hai aapne. shubhkamnaye

    जवाब देंहटाएं
  3. acha barish ka nazara dikhaya..ya kahu ek bhaybheet karta nazara

    lekin rachna achi rahi

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी सभी रचनाऎं बहूत सुंन्दर ओर मन को छू जाने वाली है। आपने अपना ब्लोग बनाया है, यह अच्छी बात है। इतनी सुन्दर रचनाओं के लिये आपको बहूत बहूत साधुवाद।

    धन्यवाद।
    राजू।

    जवाब देंहटाएं
  5. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं

विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ