मेरे साथी ....जिन्होंने मेरी रचनाओं को प्रोत्साहित किया ...धन्यवाद

शुभ-भ्रमण

नमस्कार! आपका स्वागत है यहाँ इस ब्लॉग पर..... आपके आने से मेरा ब्लॉग धन्य हो गया| आप ने रचनाएँ पढ़ी तो रचनाएँ भी धन्य हो गयी| आप इन रचनाओं पर जो भी मत देंगे वो आपका अपना है, मै स्वागत करती हूँ आपके विचारों का बिना किसी छेड़-खानी के!

शुभ-भ्रमण

27 मार्च 2011

"आजाओ ना मीत एक मुस्कान लिए "

आजाओ ना मीत
एक मुस्कान लिए


दीवारों पे जाले है
आँखों के घेरे काले है
रूखे मेरे निवाले है
बैठी हूँ आँखों में
भरी थकान लिए


द्वार पड़े वे झाड़
हटा दो
आओ निकट
दूरियां घटा दो
आजाओ आशाओं
भरा जहान लिए

बंद पड़ी खिड़की खोलोगे
ताज़ी सी खुशबु घोलोगे
धीरे से तुम जब बोलोगे
आँखे रो देंगी
तेरा ही ध्यान लिए


6 टिप्‍पणियां:

  1. विरह!!
    खूबसूरत लगी कविता..:)

    जवाब देंहटाएं
  2. विरह!!
    खूबसूरत लगी कविता :)

    जवाब देंहटाएं
  3. Birha ki peeda ka bahut marmik darasthan apki kavita me.. bahut sundar anubhuti..

    जवाब देंहटाएं
  4. दीवारों पे जाले है
    आँखों के घेरे काले है
    रूखे मेरे निवाले है
    बैठी हूँ आँखों में
    भरी थकान लिए
    bahut khoobsoorat andaj.

    जवाब देंहटाएं
  5. बेनामी12/8/11, 5:41 pm

    सच्चे मनोभावों की प्रशंसनीय प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

  6. बंद पड़ी खिड़की खोलोगे
    ताज़ी सी खुशबु घोलोगे
    धीरे से तुम जब बोलोगे
    आँखे रो देंगी
    तेरा ही ध्यान लिए. bahut sundar.

    जवाब देंहटाएं

विचार है डोरी जैसे और ब्लॉग है रथ
टीप करिये कुछ इस तरह कि खुले सत-पथ