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शुभ-भ्रमण

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शुभ-भ्रमण

18 नव॰ 2009

जाने हमने हाय इसका क्या बिगाड़ा......!

बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा

इस कदर बरसा ये बादल
भीग गयी रूह पूरी
निचुड़ गया रोम-रोम
उठ गयी है यूँ फरुरी

डरते कांपते ही बीता
पिछला पूरा ही पखवाड़ा

देखना एक दिन ही
पूरा हमें डूब जाना है
कुछ नहीं जायेगा संग
सब यहीं छूट जाना है

दे रहा देखो बुलावा
काले बादल का नगाड़ा

बेहिसाब बारिश
तिस पर निर्दयी जाड़ा
जाने हमने हाय
इसका क्या बिगाड़ा



वेदिका- 12:58 am 18-11-2009